अब तक जिस प्रकार किसी भी महामारी से रक्षा एवं बचाव के लिए टिके लगाए जाते है , उसी प्रकार कोरोना जैसी भयावह महामारी से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान निरंतर जारी है।
भारत में अब 18 वर्ष के ऊपर के सभी नागरिकों का टीकाकरण अभी भी जारी है।
यह टीकाकरण एक माध्यम है जिसकी सहायता से कोरोना के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
यदि कोई व्यक्ति टीकाकरण के बावजूद भी कोरोना संक्रमित होता है, तो उसकी मृत्यु की संभावना लगभग शून्य हो जाती है।
दिनांक 21/9/2021 तक भारत में लगभग 82,59,84,587 टिके लगाए जा चुके है, एवं यह आंकड़ा प्रतिदिन बड़ ही रहा है।
भारत में अभी दो तरह के टीके "कोवाक्सिन" और "कोविशिल्ड" उपलब्ध कराए जा रहे हैं। ये दोनों ही टीके कोरोना के प्रभाव को कम करने में सक्षम है।
Covacine -
इसके दोनो टीके के मध्य 4-6 हफ्ते का अंतरात होता है, यह हमे 81% तक प्रतिरक्षित करती है।
Covishield -
इसके दोनो टिको के बीच 12-16 सप्ताह का अंतराल होता है।
यह टीके अस्तमा एवं मधुमेह से कम मात्रा पीड़ित मरीज भी ले सकते हैं, इसके अलावा गर्भवती एवं स्थानपन कराने वाली महिलाएं भी ये टीके लगवा सकती है।
यदि कोई व्यक्ति गंभीर बीमारी से पीड़ित हो तो वह अपने डॉक्टर की निगरानी में टीकाकरण करवा सकते है।
क्या इस वैक्सीन के कोई दुष्प्रभाव है?
आम तौर पर टीका लगाने के बाद इंजेक्शन की वजह से दर्द, सूजन हो सकता हैं , इसके अलावा कुछ परिस्थितियों में बूखार, थकान, सिरदर्द का सामना भी करना पड़ सकता है, परंतु यदि गंभीर समस्या उत्पन्न होती है, तो यह सलाह दी जाती है कि टीकाकरण से पूर्व डॉक्टर से इस संदर्भ में सलाह जरूर लें।
यह आवश्यक नहीं कि टीकाकरण के पश्चात कोरोना हो या न हो परन्तु यह हमारी जिम्मेदारी है कि टीकाकरण के बाद भी हमें सोशल डिस्टेंस को बनाए रखना है एवं जरूरत पड़ने पर मास्क एवं सेनेटाइजर का उपयोग भी करना है।
इस संदर्भ में आप क्या सोचते है , क्या स्कूल प्रारंभ करने से पहले बच्चों को भी टीकाकृत किया जाना चाहिए या नही?
इस बारे में अपने विचार हमसे सांझा करे।
_Pallvi