बाल श्रम- एक चुनौती
- The Agnostic
- Sep 25, 2021
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जैसा कि हम सभी जानते हैं बाल श्रम एक ऐसी चुनौती है जिसे खत्म कर पाना मुश्किल है, लेकिन फिर भी हम कुछ प्रयास कर सकते हैं इसे सामान्य करने के लिए
आइए हम बालश्रम की स्थिति पर बात करते हैं
बाल श्रम की स्थिति:
(1)अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक साल 2000 में मजदूरी कर रहे थे करीब 24.6 करोड़ बच्चे।
(2) 17 सालों की अवधि में बाल मजदूरी से मुक्त हुए करीब 9.4 करोड़ बच्चे।
(3)कुल बाल मजदूरों में 5 से 11 साल की आयु के लगभग 48% बच्चे।
(4) 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में 10.1 मिलियन बच्चे कर रहे थे मजदूरी जिसमें से 5.6 मिलियन लड़के जबकि 4.5 मिलियन लड़कियां थी।
(5)2001 में 5 % जबकि 2011 में 3.9 % बच्चे कर रहे थे मजदूरी।
तो अब बात आती है कि इसका क्या दुष्प्रभाव पड़ता है बाल मजदूरी के दुष्प्रभाव:
(1)बाल मजदूर के रुप में सस्ता मजदूर मिल जाने से वयस्कों को नहीं मिल पाता काम:बेरोजगारी के कारण गरीबी में होता है इजाफा।
(2)पढ़ाई के बीच में ही स्कूल छोड़ने के पीछे बाल मजबूरी भी एक वजह है।
(3)विषम परिस्थितियों में काम करने से बाल मजदूरों के स्वास्थ्य को पहुंचता है नुकसान।
(4)बच्चों से दुर्व्यवहार, असुरक्षित प्रवासन, यौन शोषण के लिए गैर कानूनी भिक्षावृत्ति, मानव अंगों का कारोबार, बाल अपराध जैसी समस्या भी बाल मजदूरी के प्रभाव है।
तो यहां पर बात आती है कि बच्चों के लिए संवैधानिक प्रावधान क्या है।
अनुच्छेद (24) के अनुसार भारत में बाल मजदूरी पर रोक लगाने का प्रावधान
अनुच्छेद (23)के अनुसार बच्चों के व्यापार या उनसे जबरदस्ती काम करवाना दंडनीय अपराध
अनुच्छेद 15(3) के अनुसार बच्चों के साथ भेदभाव ना हो इसके लिए सरकार को अलग से कानून बनाने का अधिकार अनुच्छेद (39) के अनुसार बच्चों के स्वास्थ्य और शारीरिक विकास के लिए जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने का आदेश
बाल मजदूरी पर क्या-क्या कानून बनाए गए हैं;
(1)आजादी के तुरंत बाद ही कारखाना अधिनियम 1948 का निर्माण 14 साल तक की आयु वाले बच्चे को कारखाने में काम करने से मनाही।
(2)बाल श्रम अधिनियम 1986 का निर्माण: 14 साल से कम उम्र के बच्चों को जोखिम में डालने वाले व्यवसाय में काम करने से रोकने का प्रावधान।
(3)कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चों की देखरेख एवं संरक्षण के लिए किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख एवं संरक्षण अधिनियम 2015)
(4) 2009 में अस्तित्व में आया निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम
बाल श्रम को कम करने के लिए बहुत सारी चुनौतियां भी शामिल है जैसे गरीबी बाल मजदूरी की बड़ी वजह है गरीबी को खत्म करना बड़ी चुनौती है गरीबी को बढ़ाने में बेरोजगारी की सबसे बड़ी भूमिका है युवकों को रोजगार मुहैया करवाना बड़ी चुनौती है अशिक्षा के कारण जागरूकता की कमी है अशिक्षित माता-पिता बच्चों की शिक्षा के लिए नहीं करते खास प्रयास कानूनों का बेहतर क्रियान्वयन ना हो पाना भी बाल मजदूरी को खत्म करने की राह में एक चुनौती है सभी मामलों को दर्ज नहीं करती पुलिस कई बार दोषी बहुत थोड़ी सजा पाकर हो जाते हैं बरी तो यहां पर आगे की राह क्या है? अगर हम मौजूदा वक्त की चर्चा करें तो मौजूदा वक्त में बच्चों पर पड़ रहे कोरोनावायरस के असर को सीमित करने के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और कार्यक्रमों में तेजी लाने की जरूरत है। मनरेगा जैसी सामाजिक सुरक्षा योजना को बड़े पैमाने पर विस्तार देने की जरूरत है, भुखमरी और अशिक्षा को खत्म करने के लिए संजीदगी से प्रयास की जरूरत है बाल श्रमिक की समस्या के समाधान के लिए प्रशासनिक, सामाजिक तथा व्यक्तिगत सभी स्तरों पर प्रयास किया जाना जरूरी है व्यक्तिगत स्तर पर बाल श्रमिक की समस्याओं का निदान हम सभी का नैतिक दायित्व है, और इसे खत्म करने के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे।
_khusboo

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