हालही में भारतीय बैंको के द्वारा दिए गए लोन के डूबने का अनुमान बढ़ा है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी S&P ग्लोबल के अनुसार NPA लोन बुक अनुपात मार्च 2021 तक 10-11% बड़ने की संभावना है , जो कि covid-19 के पहले तक 6-7% तक था।
बैंको के सामने दो चुनौतियां है।
पुराने लोन को पुन: प्राप्त करना ।
2021 में सतर्कता से लोन देना ।
Covid -19 के अनिश्चिता का खतरा बना हुआ है। कमज़ोर ऋण वृद्धि और बढ़ते NPA को दोहरी मार झेल रही बैंकिंग प्रणाली के साथ , छोटे ऋणदाता सबसे बेजार स्तिथि में है। Covid -19 के वजह से लॉकडाउन की स्तिथि ने लोगो को दिवालिया होने का मुख्य कारण बन बैठा है।
लॉकडाउन की वजह से हम एक नए बैंकिंग प्रणाली का उदय होते देख रहे है। जो कि ऑनलाइन बैंकिंग है। यह covid-19 के पहले से यह प्रणाली थी परंतु लॉकडाउन में एक जबरदस्त उछाल देखने को मिला। यहां ऑनलाइन बैंकिंग सिस्टम में हमे एक नई दिशा में सोचने के लिए मजबूर कर दिया है।
ऑनलाइन बैंकिंग के जहां बहुत सारे फायदे है , वहीं कुछ नुकसान भी है , फायदे की बात अगर करे तो
24 घंटे सेवा उपलब्ध होती है।
बैंक से संबंधित अधिकतम कार्य ऑनलाइन लिए जा सकते है।
इससे देश को कालाबाजारी जैसी समस्याओं से आजादी मिलती है एवं लेन देन को जानकारी भी रखी जा सकती है।
वही अगर नुकसान की बात करे तो
ऑनलाइन बैंकिंग के परिचय के बाद ऑनलाइन घोटाले होने की संभावना बड़ी है।
_ Ashish Rathore