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भारतीय न्यायप्रणाली अनदेखा पहलू

प्रजातंत्र में न्यायपालिका का एक बहुत बड़ा योगदान होता है , न्यायपालिका प्रजातंत्र का एक स्वतंत्र एवं मजबूत स्तंभ है। भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के आंकड़ों की माने तो 3.9 करोड़ मामले जिला न्यायालयों , 58.5 लाख मामले उच्च न्यायालयों और 69 हजार मामले सर्वोच्च न्यायालय में आज तक लंबित है।


आखिर क्या कारण है , भारत की इस समस्या के पीछे?

हालही में संसदीय स्थाई समिति ने कानून एवं न्याय मंत्रालय में विभिन्न मुद्दों की पहचान को है, जो हमारी न्यायपालिका को कमज़ोर बनाने के लिए उत्तरदायी है।

विवरण के अनुसार पहला मुद्दा जो उभर कर सामने आता है , उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की कमी।

हमारे देश में 25 उच्च न्यायालय है , जिनके लिए कुल न्यायाधीशों की संख्या 1080 रखी गई है परंतु फिलहाल न्यायाधीशों की संख्या मात्र 661 है , 419 पद अभी भी खाली है।


दूसरा मुद्दा जो उठाकर सामने आता है, हमारी न्यायपालिका में सामाजिक आर्थिक विवधता का।

विवरण में यह कहा गया है, कि खासतौर पर उच्च न्यायालयों में सामाजिक आर्थिक विविधता का अभाव है।

इसी के साथ महिला न्यायाधीशों की संख्या मात्र 3% है , कुल महिला आबादी की, जो की 48% है , हालही के आंकड़ों के अनुसार। अगर बात की जाए महिलाओं की तो आज तक कोई महिला सर्वोच्च न्यायालय की मुख्य नयाधीश नहीं बनी है और न ही अटॉर्नी & सॉलिसिटर जनरल बनी है।


एक महत्वपूर्ण कारण जो उभर कर सामने आता है , फास्ट ट्रैक कोर्ट का ।

वर्ष 2019 में भारत सरकार ने लंबित दुष्कर्म मामलो एवं POCSO (protection of children from sexual offences) अधिनियम के तहत अपराधों से पीड़ित, पीड़ितो को तुरंत न्याय उपलब्ध कराने के लिए 1023 फास्ट ट्रैक कोर्ट (FTSCs) स्थापित करने की योजना को मंजूरी दी। आज मात्र 660 फास्ट ट्रैक कोर्ट क्रियाशील है, करीबन 36% फास्ट ट्रैक कोर्ट निस्क्रीय है।

इसी के साथ कई और मुद्दे सामने आए है।


अगर हम बात करे निराकरण कि तो तकरीबन 56% प्रस्ताव लंबित है, सरकार के द्वारा। जिनका अभी तक कोई हल नहीं निकाला गया है। इसके लिए सरकार का इन मामलो पर ध्यान देना एवं ठीक ढंग से काम करना जरूरी है।

विवरण के अनुसार उच्चन्यायलयो के न्यायाधीशों की निवृत्ति आयु 62 से बढ़ाकर 65 कर देनी चाहिए। इससे उच्च न्यायालयों की पेंडेंसी कम होगी एवं न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि होगी।


इसी के साथ हमे उतना ही ध्यान महिला सशक्तिकरण एवं देश के हर वर्ग, जाति और धर्म के व्यति के एक समान विकास पर देना होगा।

भारत में भ्रष्टाचार पर रोक लगानी होगी एवं शिक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने का प्रयास करना होगा।


_Mohit Nagle

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