भारतीय बाजार मुख्यत तीन भागों में बाटा गया हैं।
Primary sector
Secundry sector
Tertiary sector
तीनों ही सेक्टर आपस में एक दूसरे के पूरक है
Primary sector
इस में मुख्यत प्रकृति उत्पादों को रखा गया है,इसमें प्रकृति से निकने वाले कच्चे माल जैसे लकड़ी शहद गोंद आदि आते है। खेती से निकलने वाले अनाज गना आदि भी शामिल है। साथ भूमी से निकलने वाले खनिज पदार्थ समिल है।
Primary sector भारत में बहुत तेजी से बढ़ रहा है।
इससे निकलने वाले सारे उ्पाद सेकेंडरी सेक्टर में प्रोसेस के लिय भेज दिया जाता है।
इस सेक्टर में अधिकांशत: एग्रीकल्चर से संबंधित काम होता है इसलिए इसे
"एग्रीकल्चर एंड रालेटेड सेक्टर " कहते है।
Secundry sector
इस सेक्टर में प्राकृति से मिले कच्चे माल को प्रोसेस कर या कहा जाए बदलाव करके एक दूसरा प्रोडक्ट बना देते है। ये सब हम फैक्ट्री की मदद से करते है। उदा. के तौर पर
रुई और गन्ना उगाना प्राइमरी सेक्टर में आता है। परंतु जब हम फैक्ट्री मील की सहायता से कपड़े और सुगर बनाते है। तो इसे सेकेंडरी सेक्टर कहा जाता है।
इस सेक्टर में इंडस्ट्री की महत्वपर्ण भूमिका होती है इसलिए इसे
" Industrial sector" भी कहा जाता है।
Tertiary sector
Tertiary sector इस सेक्टर में सेवा से जुड़े सभी कार्य को रखा गया अन्य दो सेक्टर की तरह यहां भी महत्वूर्ण योगदान करता है हमारी जाती जिन्दगी में और हमारी अर्थवयवस्था में भी
इसकी मुख्य इंडस्ट्री Telecommunication.
Hospitality industry/tourism.
Mass media.
Healthcare/hospitals.
Public health.
Pharmacy.
Information technology.
Waste disposal.
आदि हैंl
_Ashish